शक्ति का नाम 'नादिया'
अपने जख्मों को ताकत बना लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती, बड़ा मुश्किल काम होता है। लेकिन 25 साल की एक लड़की ने दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की है।
मूल रूप से ईराक में रहने वाली इस लड़की का नाम नादिया मुराद है।
अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने नादिया का अपहरण कर लिया था।
3 महीने तक आईएसआईएस ने उसके साथ बलात्कार किया।
आईएसआईएस ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न को हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
उसे गुलाम बना कर रखा उसके साथ मारपीट की
जिंदगी एक तरह से नर्क बना दी लेकिन नादिया मुराद ने अपने जख्मों को ताकत बना लिया।
वो किसी तरह आईएसआईएस चंगुल से निकलने में कामयाब हो गई।
आज यह 25 साल की लड़की दुनिया की हर पीड़ित शोषित महिला को शक्ति देने का काम कर रही है
इस साहसिक कार्य के लिए नदिया को नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हमारे देश में भी लाखों महिलाओं को कई तरह के शोषण का सामना करना पड़ता है। कई बार वे चुप रह जाती हैं, खामोश हो जाती हैं, तरह-तरह की यातनाएं बर्दाश्त कर लेतीे हैं। लेकिन उन्हें नादिया मुराद से सीखना चाहिए।
सभी महिलाओं के लिए सीख है कि अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को बर्दाश्त मत कीजिए।
अपनी आवाज उठाइए और अपने हक की बात कीजिए सिर्फ मी टू कैंपेन से बात नहीं बनेगी
वक्त आ गया है आपको जिम्मेदारियां उठाते हुए एक वी टू कैंपेन भी चलाना होगा।
अपने जख्मों को ताकत बना लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती, बड़ा मुश्किल काम होता है। लेकिन 25 साल की एक लड़की ने दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की है।
मूल रूप से ईराक में रहने वाली इस लड़की का नाम नादिया मुराद है।
अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने नादिया का अपहरण कर लिया था।
3 महीने तक आईएसआईएस ने उसके साथ बलात्कार किया।
आईएसआईएस ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न को हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
उसे गुलाम बना कर रखा उसके साथ मारपीट की
जिंदगी एक तरह से नर्क बना दी लेकिन नादिया मुराद ने अपने जख्मों को ताकत बना लिया।
वो किसी तरह आईएसआईएस चंगुल से निकलने में कामयाब हो गई।
आज यह 25 साल की लड़की दुनिया की हर पीड़ित शोषित महिला को शक्ति देने का काम कर रही है
इस साहसिक कार्य के लिए नदिया को नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हमारे देश में भी लाखों महिलाओं को कई तरह के शोषण का सामना करना पड़ता है। कई बार वे चुप रह जाती हैं, खामोश हो जाती हैं, तरह-तरह की यातनाएं बर्दाश्त कर लेतीे हैं। लेकिन उन्हें नादिया मुराद से सीखना चाहिए।
सभी महिलाओं के लिए सीख है कि अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को बर्दाश्त मत कीजिए।
अपनी आवाज उठाइए और अपने हक की बात कीजिए सिर्फ मी टू कैंपेन से बात नहीं बनेगी
वक्त आ गया है आपको जिम्मेदारियां उठाते हुए एक वी टू कैंपेन भी चलाना होगा।
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