Tuesday 9 October 2018

शक्ति का नाम 'नादिया'

शक्ति का नाम 'नादिया'
अपने जख्मों को ताकत बना लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती, बड़ा मुश्किल काम होता है। लेकिन 25 साल की एक लड़की ने दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की है।
मूल रूप से ईराक में रहने वाली इस लड़की का नाम  नादिया मुराद है।
अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकवादियों ने नादिया का अपहरण कर लिया था।
3 महीने तक आईएसआईएस ने उसके साथ बलात्कार किया।
आईएसआईएस ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न को हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
उसे गुलाम बना कर रखा उसके साथ मारपीट की
जिंदगी एक तरह से नर्क बना दी लेकिन नादिया मुराद ने अपने  जख्मों को ताकत बना लिया।
वो किसी तरह आईएसआईएस चंगुल से निकलने में कामयाब हो गई।
आज यह 25 साल की लड़की दुनिया की हर पीड़ित शोषित महिला को शक्ति देने का काम कर रही है
इस साहसिक कार्य के लिए नदिया को नोबेल पुरस्कार दिया गया।
हमारे देश में भी लाखों महिलाओं को कई तरह के शोषण का सामना करना पड़ता है। कई बार वे चुप रह जाती हैं, खामोश हो जाती हैं, तरह-तरह की यातनाएं बर्दाश्त कर लेतीे हैं। लेकिन उन्हें नादिया मुराद से सीखना चाहिए।
सभी महिलाओं के लिए सीख है कि अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को बर्दाश्त मत कीजिए।
अपनी आवाज उठाइए और अपने हक की बात कीजिए सिर्फ मी टू कैंपेन से बात नहीं बनेगी
वक्त आ गया है आपको जिम्मेदारियां उठाते हुए एक वी टू कैंपेन भी चलाना होगा।

Thursday 27 September 2018

अवैध संबंध हुए वैध
लगी हवा पश्चिम की जबसे भूल गए पुरवईया को!
जानें किसकी नजर लग रही ? अपनी सोन चिरैय्या को।
आॅखो पर बंधी पट्टी पर सन्देह तो था पर अब भरोसा हो गया है की कुछ दिख नही रहा है।
मीलार्ड ! जय हो आपकी , मिटा दीजिए भारतीय संस्कृति, खत्म कर दीजिए भारतीय संस्कार ?? ये भी तो बहुत पुराने है ।
शादी के बाद भी पति और पत्नी किसी दूसरे से सम्बन्ध बनानें के हकदार है, तो फिर विवाह को एक पवित्र रिश्ता कैसे मानेगें ?
गुरुवार को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आइपीसी की धारा 497 व सीआरपी की धारा 198 को असवैधानिक करार दिया। कोई विवाहित महिला यदि किसी विवाहित या अविवाहित पुरुष से संबंध बनाती है तो सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यो ? जबकि महिला भी बराबर की जेम्मेदार है।  
   कोर्ट  ने हैरानी जताते हुए कहा कि अगर विवाहित महिला के पति की सहमति से कोई विवाहित पुरुष महिला से शारीरिक संबंध स्थापित करता है तो वह अपराध नही है। इसका मतलब क्या महिला पुरुष की निजी मलकियत है। जो वो उसकी मर्जी से चले। कोर्ट ने इसे अनुच्छेद 14,15,21 का उलंघन माना।
कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार तलाक का आधार हो सकता है अपराध का नही। व्यभिचार को सिर्फ तालाक का आधार बना देने से हम उन लोगो की मदद कर रहे हो जो अपनी पत्नी या पति से तलाक चाहते है,तो क्या कोर्ट ने लोगो के लिए तलाक़ लेने का एक आसान रास्ता इजात कर दिया है। कही न कही ऐसा करके हम विवाह के पवित्र बंधन का भी मजाक बना रहे है। सात जन्म का बंधन चुटकियो में खत्म करने का बेहद आसान तरीका।
कोर्ट ने कहा की यदि कोई आत्महत्या कर लेता है तोदूसरे के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस बनेगा क्या हम ऐसे कार्य को प्रशय दे सकते है जहाँ दूसरे के आत्महत्या करने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता।
सवाल बहुत से है पर जवाब एक का भी नही।
क्या अब अलाउदीन खिलजी महारानी पद्मावती पर कुदृष्टि डालने के लिए व्यभिचारी नही कहलायेगा।
उच्चतम न्यायालय को इस फैसले की पुनः समीक्षा करनी चाहिए आइपीसी 497 में महिलाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए इससे अनुछेद 14 15 21 का उलंघन भी नही होगा । और इस अनैतिक कार्य के लिए लोगो मे मन में डर भी बना रहेगा क्योकि विवाह एक पवित्र कार्य है और यह सामाजिक तौर पर भी गलत है।
इससे न सिर्फ जीवनसाथी बल्कि बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य भी शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरते है।
साहब क्या हमारे देश की सँस्कृति बचाने के लिए कोई संशोधन कर सकते हैं???
बस पूछ लिया....
बरबाद करने में तो तन मन धन से लगे नजर आ रहे है।

Wednesday 5 July 2017

Tumhara intzar

लगता ही नहीं के एक अर्सा सा बीत गया तुमसे मिले हुए.. लगता है के जैसे कल की ही बात है
तुम्हे याद है ना तुम अपना गुलाबी वाला बैग जिसमे कुछ कॉपी, चॉकलेट्स और एक छोटी सी पर्स (जिसमें तुम अपने पैसे रखती थी) पड़ी होती थी
कंधे पे टाँगे मेरे घर(बैचेलरस् का रूम) में आई थी। कितना बकर बकर बतियाती रहती थी तुम। बिस्तर पे तितर-बितर किताबें और कपड़ों को
बड़बड़ाते हुए(तुमसे बेहतर तो जानवर होते हैं कम से कम जहाँ सोते हैं उस जगह को तो साफ़ रखते हैं!!) उनकी सही जगह रख देती थी।

पास बैठ के अपनी सारी बतकही सुनाते सुनाते आलू कब काट देती थी पता ही नहीं चलता था।
पता है कोशिश तो कई बार की थी मैंने के घर जैसा खाना बनाऊ पर मम्मी वाले खाने का स्वाद तुम्हारे आने पे ही फील होता था।
तुम्हारी आलू भुजिया और वो तिकोने पराठे अभी भी मुस्कान दे जाते हैं। तुम्हारे आने पे झाड़ू भी लग जाती थी :P ! तुम्हारे किस्से सुनते सुनते कब दोपहर हो जाती पता ही नहीं चलता था। तुम जब सर दबाती थी न तो मैं बस यही सोचता था के बस अभी 2 बज जायेगा और तुम चली जाओगी और ये पल भी गुज़र जायेगा।

बहुत सी खट्टी मीठी यादें हैं जो तुमने दी है मुझे। तुम्हारा प्रेम था के मुझे इस आस में बंधे रखता था के सब अच्छा हो जायेगा। तुममें सबसे अच्छा दोस्त देखा था मैंने। और इस सब से बड़ी बात के तुम वो भी समझती थी जो मैं कई बार कह नहीं पाया था।

खैर अब तो वो समय गुज़र गया और मैं भी बदल गया हूँ। अब मेरे कमरे में किताबें अपनी जगह पे होती है और कपड़े भी तह होके ही रखे रहते हैं।
मैंने अच्छी आलू भुजिया बनाना भी सीख़ लिया है। और अब झाड़ू भी रोज़ लगा देता हूँ। जब भी अकेले होता हूँ तो स्लो म्यूजिक में तुम्हारा फेवरेट "आजा पिया तोहे प्यार दू.." चला लेता हूँ आँख बंद करता हूँ और सोचता हूँ के वो पगलिया सी लड़की मेरा सर दबा रही है.. मेरी बातों पे हँस रही है अपने दुःख को छुपा रही है बिन मेरे कहे मेरी मजबूरियों को समझ रही है।

ज़ीना सिख लिया है मैंने.. इतना मुश्किल भी नहीं है.. अकेले कहाँ हूँ? बहुत सी यादें हैं, ज़िम्मेदारियाँ हैं, काल्पनिक सपने हैं, अधूरे ख्वाब हैं... और इन सब से परे वो वादा है हम दोनों का "कभी भी न बदलने का.. "

न तुम बदली और न मैं.. कभी आना मेरे घर.. अपने Hubby को लेके.. आलू की भुजिया खिलाऊंगा तिकोने पराठे के साथ और वो गाना भी बजाऊंगा स्लो वॉल्यूम में..
"मैं हूँ पानी के बुलबुले जैसा.. तुझे सोचूं तो फूट जाता हूँ😊😊👆

Tuesday 4 July 2017

प्यार का मौसम...

झूमके बहुत पसंद है उसको! बस चले उसका तो गड़बड़झाला के सारे झूमके अपनी ड्रोर में सज़ा ले!
सजने सवरने का बेहद शौक़ है उसे! काजल बड़ी देर तक लगती है! एकदम बैलेंस! तीखा! शायरा बनों वाला!
हल्के रंग की लिप्स्टिक और माथे पे मैचिंग की बड़ी सी बिंदी! दाँत थोड़े टेढ़े-मेढ़े हैं उसके!
दरसल दिल का रास्ता पेट से होकर गुज़रता है और पेट का मुँह से!
तो बस उसी टेढ़े-मेढ़े दाँत में फँसा है एक लड़के का दिल! नज़र भर के जो एक बार देख भर लेती है तो दिल ऐसे हिलोरे मारने लगता है जैसे किसी छोटे बच्चे के पेट में गुदगुदी लग रही हो!

जिम्मदारियों के बोझ से भागती नही है वो! लड़ा करती है दुनिया से!
हर रोज़! हर सुबह उठती है अपनी सारी ख़्वाहिशें लिए और शुरू हो जाती है जेद्दोजहद ख़्वाबों को पूरा करने की!
घर की ज़िम्मेदारी निभाने की! लड़ झगड़ के मुस्कुराते हुए वो गिनती है अपनी कमाई! कितने आँसू गिरे? कितनी हँसी खिली? हर रोज़ जब गिनतियाँ होती है तो मुस्कान गिनी चुनी ही निकल पाती है और आँसू!
आँसू हर दिन अनगिनत संख्याओं में एक एक और जुड़ते जाते है! वो जब सबके सामने आती है न तो बस उसी चंद मुस्कान को चेहरे पे रख कर आती है!
आँसू का कोटा उसकी तकिया पर उतरता है!

नेलपोलिश साड़ी के कलर की ही प्रिफ़र करती है!
एक गाल पे डिम्पल भी पड़ता है! बाल खुले हों या पोनी टेल, चाहे सामने हों या पीछे, चेहरे की रौनक़ बरक़रार रहती है! उलझन शेयर नही करती किसी से बस ख़ुशियाँ बाटती है! कुछ किताबें साथी है उसके और कुछ दोस्त उसकी ज़िन्दगी!

पालक बहुत पसंद है उसे! खाना बनाने का शौक़ भी बहुत है! शॉपिंग के नाम पे सारी दुकान ख़ाली करा देती है!
ड्राइविंग के नाम पे चेहरा खिल जाता है उसका! ख़ूबसूरत है वो! दुनिया की हर लड़की की तरह! बेहद ख़ूबसूरत!
उसकी अपनी दुनिया है! ख़ुद की दुनिया! जिसके एक बार अगर तुम घुस गए तो बाहर कभी नही निकल पाओगे!
वो लड़का फँस गया है! उसके साथ जी रहा है! उसके प्रेम में जी रहा है! हर रोज़! अलबेली है वो😊

रिमझिम बरसती बारिश और तुम

याद है ना तुम्हे ...जब उस शाम रूमानी मौसम में ....चन्द गिरती बूंदों तले .... और उस पर वो ठंडी ठंडी सर्द हवा .....कैसे तुम्हारी जुल्फें लहरा रही थीं और तुम्हारे रेशमी गालो को चूम रही थी  .....सच बहुत खूबसूरत लग रही थीं तुम .... वो बैंच याद है न तुम्हें ....वही उस पार्क के उस मोड़ पर ....जहाँ अक्सर तुम मुझे ले जाकर आइसक्रीम खाने की जिद किया करती थी .....हाँ शायद याद ही होगा ....कितना हँसती थी तुम .....उफ़ तुम्हारी हँसी आज भी मेरे जहन में बसी है ....उस पर से जब तुम जिद किया करती थी .....कि एक और खानी है ...बिलकुल बच्चों की माफिक .....उस पल कितनी मासूम बन जाया करती थीं तुम ....कि जैसे कुछ जानती ही न हो ....पगली कहीं की ....बिलकुल बच्ची बन जाती थी तुम .....

पर आज ये बारिश कुछ अच्छी लग रही है  .....वही बूँदें ....वही मौसम है ...पर फिर भी दिल वहीँ खोया सा है ....तुम्हारे नर्म हाथों की गर्मी ...जो आज भी मेरे जेब में रखी हुई है ...सोचता हूँ एक ये गर्मी ही तो है जो आज तक जिंदा है ....तुम्हें बारिश में भीगने में मज़ा जो आता था ....ना जाने क्यों आज ...जी भर कर भीगने को मन करता है ....मन करता है ये बारिश ना थमे ....या फिर बहा ले जाए मुझे ...ये तो बारिश ही है ....हाँ बारिश ही तो है ....तुम भी ना कैसे कैसे वादे ले गयी .....

... हाँ जानता हूँ एक मुट्ठी मुस्कराहट की फरमाइश रोज़ पूरी करनी है मुझे , ऐसी ही चुनिंदा पोस्ट डाल कर   .....जो तुम्हे बेहद प्यारी लगे और तुम्हारे दिल में उतर जाये❤👆🏻

पहली बारिश का अहसास

जैसे बारिश के बाद आसमान साफ हो जाता है वैसे ही आज मन साफ है तुमसे तुम्हारी यादों से
बारिश की पड़ती एक एक बूंद तुम्हारे होने का अहसास करा रही है जैसे आस-पास ही हो तुम
तुम्हें ढूंढते ढूंढते आज मैं फिर वहीं आ गया हूं जहां हम पहली बार मिले थे वह शहर जहां हाथ पकड़ना सीखा जहां चुपके चुपके फिल्म देखने गए
वह पार्क याद है ना तुम्हें जहां पहली बार तुमने चुपके से मेरा हाथ थामा था
पहली बारिश का एहसास क्या होता है यह तुमसे जाना था मैंने
तुम्हारी और मेरी हथेलियां आपस में मिलकर एक नया संसार बुन रही थी एक संसार जिसमें ऊंचे ऊंचे सपनों की उड़ान थी जिसमें थे सिर्फ मैं और तुम

Saturday 1 July 2017

Love in the time of gst

तुम जब भी टकराती हो, लगता है मेरी धड़कनों से GST वसूल लेती हो।

भागो यहाँ से। GST ले जाती हो !

वन नेशन वन टैक्स के देश में वन सिटीज़न, वन लव, कब होगा रिद्धिमा

तुम चाहते क्या हो शुभम

बस यही कि प्रेम का एक बाज़ार हो। एक संसार हो। एक स्टेट से दूसरे स्टेट में भागते वक्त ऑक्टरॉय न लगे। चेकिंग न हो।

मतलब जब दो धर्मों के बीच प्यार हो जाए तो दो बात और हो जाए। पहला, एक्साइज़ टैक्स की तरह लव जिहाद न हो, दूसरा, उस पर वैट की तरह एंटी रोमियो न चिपक जाए।

रिद्धिमा, तुम समझती तो हो मगर जी एस टी की तरह जटिल हो जाती हो। बार बार रिटर्न भरना पड़ता है। हर स्पर्श के लिए GST नंबर जनरेट करते करते थक गया। हमारी मेमोरी का डेटा ओवरलोड हो गया है।

मेरे प्यारे शुभम, प्यार करना इतिहास बनाना है। हम दीवारों पर लिखेंगे। रातों को जागेंगे। नारे लगायेंगे कि अब नाम बदल कर प्यार करने की ज़रूरत नहीं है। GST की तरह हमारे प्यार का एक नंबर होगा।

रिद्धिमा, क्या हम सचमुच में एक देश एक नागरिक हो गए हैं? अब कोई धर्म के नाम पर हमारे प्यार का गला तो नहीं घोटेगा न ।

हाँ शुभम। एंटी रोमियो वाला भी GST में परेशान हो गया है।  यही मौका है हम शादी के लिए अप्लाई कर देते हैं। कल मिलते हैं कानपुर कोर्ट के बाहर।

रिद्धिमा, टाइम क्या हुआ रे

आधी रात !

तुम भी जाग रही हो न

नहीं शुभम।

तो ?

जाग नहीं रही, मैं नींद में चल रही हूँ।

शक्ति का नाम 'नादिया'

शक्ति का नाम 'नादिया' अपने जख्मों को ताकत बना लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती, बड़ा मुश्किल काम होता है। लेकिन 25 साल की एक लड़क...