Tuesday, 4 July 2017

पहली बारिश का अहसास

जैसे बारिश के बाद आसमान साफ हो जाता है वैसे ही आज मन साफ है तुमसे तुम्हारी यादों से
बारिश की पड़ती एक एक बूंद तुम्हारे होने का अहसास करा रही है जैसे आस-पास ही हो तुम
तुम्हें ढूंढते ढूंढते आज मैं फिर वहीं आ गया हूं जहां हम पहली बार मिले थे वह शहर जहां हाथ पकड़ना सीखा जहां चुपके चुपके फिल्म देखने गए
वह पार्क याद है ना तुम्हें जहां पहली बार तुमने चुपके से मेरा हाथ थामा था
पहली बारिश का एहसास क्या होता है यह तुमसे जाना था मैंने
तुम्हारी और मेरी हथेलियां आपस में मिलकर एक नया संसार बुन रही थी एक संसार जिसमें ऊंचे ऊंचे सपनों की उड़ान थी जिसमें थे सिर्फ मैं और तुम

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