Saturday, 1 July 2017

Love in the time of gst

तुम जब भी टकराती हो, लगता है मेरी धड़कनों से GST वसूल लेती हो।

भागो यहाँ से। GST ले जाती हो !

वन नेशन वन टैक्स के देश में वन सिटीज़न, वन लव, कब होगा रिद्धिमा

तुम चाहते क्या हो शुभम

बस यही कि प्रेम का एक बाज़ार हो। एक संसार हो। एक स्टेट से दूसरे स्टेट में भागते वक्त ऑक्टरॉय न लगे। चेकिंग न हो।

मतलब जब दो धर्मों के बीच प्यार हो जाए तो दो बात और हो जाए। पहला, एक्साइज़ टैक्स की तरह लव जिहाद न हो, दूसरा, उस पर वैट की तरह एंटी रोमियो न चिपक जाए।

रिद्धिमा, तुम समझती तो हो मगर जी एस टी की तरह जटिल हो जाती हो। बार बार रिटर्न भरना पड़ता है। हर स्पर्श के लिए GST नंबर जनरेट करते करते थक गया। हमारी मेमोरी का डेटा ओवरलोड हो गया है।

मेरे प्यारे शुभम, प्यार करना इतिहास बनाना है। हम दीवारों पर लिखेंगे। रातों को जागेंगे। नारे लगायेंगे कि अब नाम बदल कर प्यार करने की ज़रूरत नहीं है। GST की तरह हमारे प्यार का एक नंबर होगा।

रिद्धिमा, क्या हम सचमुच में एक देश एक नागरिक हो गए हैं? अब कोई धर्म के नाम पर हमारे प्यार का गला तो नहीं घोटेगा न ।

हाँ शुभम। एंटी रोमियो वाला भी GST में परेशान हो गया है।  यही मौका है हम शादी के लिए अप्लाई कर देते हैं। कल मिलते हैं कानपुर कोर्ट के बाहर।

रिद्धिमा, टाइम क्या हुआ रे

आधी रात !

तुम भी जाग रही हो न

नहीं शुभम।

तो ?

जाग नहीं रही, मैं नींद में चल रही हूँ।

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